crime stories hindi : Premika ko pane ke lie kee usake pati kee hatya | mk mazumdar
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crime stories hindi : Premika ko pane ke lie kee usake pati kee hatya | mk mazumdar
प्रेमिका को पाने के लिए की उसके पति की हत्या
शाम का वक्त था. जामनगर के पुलिस स्टेशन में फोन की घंटी बज उठी. फोन करने वाले ने बताया, कच्ची सड़क के पास एक खड्डे में एक लाश पड़ी है. उसके कुछ दूर पर एक टाटा सूमो खड़ी है. सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर मनोज दलबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.
पुलिस दल जब घटनास्थल पर पहुंचे. उस वक्त रात के आठ बज चुके थे. चारों ओर अंधेरा छा चुका था. पुलिस ने लालटेन की रोशनी तथा टार्च की रोशनी में खड्डे में पड़े लाश को ढुढ़ निकाला. मृतक की उम्र लगभग 25 वर्ष थी. उसने नीले रंग की शर्ट और सफेद रंग का जींस पहन रखा था.
लाश के लगभग 150 फुट की दूरी पर एक सफेद रंग की सूमो जीप खड़ी हुयी थी. गाड़ी के नंबर प्लेट के नीचे गाड़ी का नंबर लिखा हुआ था उसे खुरच कर मिटाने की कोशिश की गयी थी.
पुलिस ने लाश और उसके आस-पास बारिकी से अध्ययन किया. हत्यारे ने बड़े बेरहमी से हत्या की थी. लाश का चेहरा एक बड़े पत्थर से कुचला गया था. जिससे मृतक की पहचान न हो सके. लाश से दुर्गध आ रही थी. इससे लग रहा था, कि हत्या एक दो दिन पहले किसी की गयी थी.
मृतक की जेब की तलाश लेने पर उसके जेब से एक पैकेट निकला. उस पैकेट में ड्राइविंग लायसेंस था. इसके अलावा कुछ टेलिफोन नंबर, विजिटिंग कार्ड आदि निकले. पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया.
इंस्पेक्टर मनोज ने विजिटिंग कार्ड पर लिखे नंबर पर फोन किया तो पता चला वह मृतक निलेश के माता-पिता का था. मनोज ने उन्हें जामनगर बुला लिया. अस्पताल में रखी लाश को देखने के बाद दोनों दहाड़ मारकर रोने लगे. मनोज ने उन्हें सांत्वना देकर चुप कराया.
निलेश के माता-पिता ने पुलिस को बताया, निलेश काफी सीधा-सादा लड़का था. वह टाटा सूमो चलाया करता था. दो महिने पहले ही उसकी अर्पिता (काल्पनिक नाम) से शादी की थी.
इंस्पेक्टर मनोज ने सबसे पहले एक टीम तैयार की और उस टीम को निलेश के शहर भेंजवा कर उसके बारे में गुप्त जानकारी प्राप्त करने की योजना बनायी.
खोजबीन के दौरान उन्हें पता चला की निलेश काफी शांत स्वभाव का था. वह अपने काम से काम रखता था. किसी से बिना वज़ह बात नहीं करता था. उसका ट्रेवलिंग का काम था. जहां से आर्डर मिलता था. वह अपनी टाटा सूमो लेकर वहां चला जाता था. लंबी दूरी पर जाने पर वह दो-दो दिनों तक घर पर नहीं आता था.
घटना वाले दिन निलेश ने अपनी मां और पत्नी को बताया कि उसे लंबी दूर का भाड़ा मिला है. वह दो-तीन दिन बाद लौटेगा. उसके बाद वह गाड़ी लेकर निकल गया. दो दिन बाद जब निलेश नहीं लौटा तो मां और पत्नी को चिंता होने लगी. उन्होंने मोबाइल पर सम्पर्क करने की कोशिश की, पर मोबाइल का स्वीच आॅफ होने की वज़ह से सम्पर्क नहीं हो पा रहा था.
इंस्पेक्टर मनोज ने इस बात का पता लगाया कि क्या गांव में निलेश का कोई दुश्मन था? निलेश का किसी से प्रेम संबंध था या उसकी पत्नी का किसी से पे्रम संबंध रहा हो? इस विषय में जांच करने पर पता चला कि निलेश की पत्नी अर्पिता का शादी के पहले संजय से प्रेम संबंध था.
दोनों लगभग डेढ़ साल से एक-दुसरे को चाहते थे. अर्पिता और संजय दोनों शादी करना चाहते थे. इसके लिए दोनों परिवार वाले राजी हो गये थे. सिर्फ शादी की तारिख निकालने की देर रह गयी थी.
इसी बीच संजय का छोटा भाई प्रफुल्ल का अर्पिता की छोटी बहन से दोस्ती हो गयी. वे दोनों भी आपस में शादी करना चाहते थे. लेकिन इस बात के लिए अर्पिता के माता-पिता राजी नहीं थे. उनका कहना था वे अपनी दोनों लड़कियों को एक ही परिवार में नहीं देगें.
दोनों परिवार में काफी बहस हुई. संजय भी जिद्द पर अड़ गया. आखिर मंे वहां शादी नहीं हुयी. अर्पिता के पिता ने कुछ दिनों बाद उसकी शादी निलेश के साथ कर दी.
पुलिस ने संजय की खोजबीन शुरू कर दी. संजय के बारे में पता चला कि उसकी चश्मे की दुकान है. पुलिस संजय के दुकान पर पहुंचे, लेकिन वह वहां नहीं मिला. आखिर में पुलिस ने रात में संजय को उसके घर से गिरफ्तार किया.
पुलिस स्टेशन लाकर संजय से पूछताछ शुरू की. जब संजय से अर्पिता और निलेश के बारे में पूछा गया तो उसका चेहरा धक से हो गया. अगले ही पल उसने अपने आप को संभाला.
उसने कहां, वह इन दोनों को नहीं पहचानता. पुलिस ने घुमा फिरा कर अनेक तरह के प्रश्न किये. पर वह पुलिस को गुमराह करता रहा. आखिर में पुलिस ने अपना हाथ दिखाया तो वह टूट गया. उसने निलेश के हत्या की सारी कहानी पुलिस को बता दी.
संजय चश्मे की दुकान चलाता था. उसकी अच्छी कमाई थी. वह हमेशा हीरो बन कर रहता था. शहर की लड़कियां उसके हीरोपन पर मरती थी. इसके बावजूद उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी.
दो साल पहले संजय अपने मामा के यहां घुमने के लिए गया हुआ था. संजय वहां कुछ दिनों तक रहा. वहां उसकी मुलाकात अर्पिता से हुयी. अर्पिता दिखने में काफी खूबसूरत थी. उसकी हंसी संजय के दिल में उतर गयी.
जब इस बारे में संजय के मामा को पता चला तो उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की. संजय ने अपने मामा से कहां, वह अर्पिता को दिल से चाहता है. उससे शादी करना चाहता है. मामा ने कहां, इस बारे में वह कुछ कर नहीं सकता, इसके लिए वह अपने माता-पिता से जाकर बात करें.
संजय ने घर पर आकर अपने माता-पिता को अर्पिता की फोटो दिखाते हुए कहा कि उसे यह लड़की पंसद आ गयी है. संजय के माता-पिता ने जब अर्पिता की फोटो देखी तो उन्हें वह अर्पिता पसंद आ गयी. दोनों शादी के लिए राजी हो गए.
एक दिन संजय अपने पिता को लेकर अर्पिता के घर पर पहुंच गया. संजय के पिता और अर्पिता के पिता ने बातचीत की. दोनों को एक-दुसरे का स्वभाव और परिवार अच्छा लगा. अर्पिता के पिता ने शादी की सहमती दे दी.
इस बीच संजय का छोटा भाई प्रभुल्ल अपने मामा के यहां गया. वहां जाने के बाद वह अक्सर अपनी होने वाली भाभी अर्पिता के घर पर भी जाने लगा. वहां उसकी आंख अर्पिता की छोटी बहन से लड़ गयी. दोनों एक-दुसरे को चाहने लगे. दोनों ने शादी करने का भी विचार बना लिया.
जब यह बात अर्पिता के पिता को लगी तो उन्हें बड़ा गुस्सा आया. अर्पिता के पिता ने एक ही घर में दोनों लड़की का विवाह करना नहीं चाहते थे. उन्होंने दोनों के मिलने जुलने पर रोक लगा दी और प्रफुल्ल से अपनी छोटी बेटी की शादी करने से इंकार कर दिया. संजय भी जिद्द में आ गया. उसने अर्पिता के पिता से कहा, यदि अर्पिता की बहन की शादी उसके भाई के साथ न की गयी तो वह भी अर्पिता से शादी नहीं करेगा.
संजय धमकी इसलिए दे रहा था क्योंकि आस पड़ोस और रिस्तेदारों को उसके और अर्पिता के प्रेम पं्रसग के बारे में पता चल चुका था. वह, अर्पिता के पिता को वह यह जताना चाह रहा था कि यदि उसकी और अर्पिता की शादी टूट गयी तो उनके परिवार वालो की काफी बदनामी होगी. कोई उनकी बेटी से शादी करना नहीं चाहेगा.
अर्पिता के पिता भी काफी जिद्दी किस्म के थे. उन्होंने अपनी लड़की की शादी उस घर में न देने का मन बना लिया. वे समाज मंे अपना प्रभाव रखते थे. उन्होंने जल्दी ही एक लड़का देखा और चट मंगनी पट विवाह कर दिया.
वह लड़का निलेश था. अर्पिता के रूप में खूबसूरत पत्नी पाकर निलेश काफी खुश हुआ. अर्पिता को शुरू-शुरू में संजय काफी याद आता रहा, लेकिन निलेश के प्यार में वह धीरे-धीरे संजय को भूल गयी. दोनों का दाम्पत्य जीवन काफी खुशी से गुजरने लगा.
इधर एक दिन अचानक संजय अपने मामा के यहां पहुंचा तो उसे पता चला कि अर्पिता की शादी तो किसी दुसरे के साथ हो चुकी है. यह सुनकर उसे बड़ा गुस्सा आया. उसका खून खौल गया. उसका मन हुआ कि वह अर्पिता के पिता के पास जाएं और उनका खून कर दें. किसी तरह से उसने अपने गुस्से को कन्ट्रोल किया.
अर्पिता के बारे में जानकर उसका दिमाग पागलों की तरह हो गया. उसका एक बार मन करता सारी दुनिया को आग लगा दे. अगले पल सोचता वह खुद आत्महत्या कर लें. वह सोचता इसकी सजा अर्पिता को मिलनी चाहिए. अर्पिता का गला घोट दे. इस तरह के अनेक तरह के विचार उसके मन में आ रहे थे. वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें?
कई दिनों तक सोचने विचारने के बाद उसने मन ही मन प्लान बनाया, उसकी अर्पिता को छिनने वाले निलेश की हत्या की जायें. निलेश की हत्या के बाद वह अर्पिता को पा सकता हैं.
संजय ने सबसे पहले निलेश के बारे में पता किया. वह कहां रहता है? क्या करता है? इस बारे में मालूम करने के बाद उसने निलेश की हत्या का प्लान बना लिया. संजय अपने तीन साथियों को लेकर वहां पहुंचा. वहां निलेश से मिलकर टाटा सूमो बुक करवाना चाहता था. संयोग से उस वक्त निलेश नहीं मिला. वे सब लौटकर चले आये.
शाम को तीनांे एक बार अपने प्लान के बारे में आपस में बातचीत की. इसके बाद उन्होंने निलेश को फोन करके लाॅज पर बुलाया. उन्होंने दो-तीन दिन के टूर पर जाने के लिए टाटा सूमो बुक किया. कुछ रूपये उसे एडवांस भी दे दिये. रात को गाड़ी लेकर आने के लिए कह दिया.
रात के वक्त निलेश टाटा सूमो लेकर चला आया. तीनों उसमें बैठ गये. रात को हाईवे पर तेज गति से उनकी जीप चली जा रही थी. संजय, निलेश से बातें कर रहा था. बातों ही बातों में उसने अर्पिता के बारे में जानकारी ली. निलेश ने बताया, वह अर्पिता जैसी समझदार और खूबसूरत पत्नी पाकर उसकी जिंदगी और भी हसीन हो गयी है.
यह सुनकर तीनों भड़क गए. उन्होंने उसे मारते-मारते नीचे गिरा दिया. निलेश उनसे हाथ-जोड़ कर कह रहा था, उससे जो भी गलती हुयी है उसे माफ कर दें. लेकिन संजय के सिर पर तो खून सवार था. उसने एक बड़ा सा पत्थर उठाया और निलेश के सिर पर दे मारा. वजनदार पत्थर के भरपूर वार से निलेश का सिर तरबूज की तरह फट गया. वह कुछ देर तड़पता रहा. इसके बाद वह ठंडा हो गया. संजय ने उस पत्थर को उठाकर निलेश के सिर पर कई वार किये. जिससे उसका सिर छिन्न-भिछिन्न हो गया.
निलेश की हत्या के बाद तीनों वहां से चल दिये. कुछ दूर चलने के बाद उन्हें ध्यान आया कि टाटा सूमो के पीछे नंबर प्लेट के पास निलेश का मोबाइल नंबर लिखा हुआ था. वे तीनो लौट कर आये उनहोंने उस नंबर को पत्थर से खुरच-खुरच कर मिटा दिया और निश्चित होकर वहां से चले आये.
पूरी कहानी सुनाने के बाद संजय ने पुलिस को बताया, उसे विश्वास था कि पुलिस उनके बारे में पता नहीं लगा पायेगी. इस प्लानिंग के तहत उन्होंने हत्या की थी. लेकिन अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो वह पुलिस की गिरफ्त से बच नहीं सकता.
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