Bhopal का मनीष तखतानी हत्याकांड

कुंवारे प्रेमी ने ली पति की जान




एसपी अंशुमन सिंह 

क्राइम ब्रांच एएसपी शैलेन्द्र सिंह चैहान

टीआई सुधीर अरजरिया (जांच अधिकारी)
उस दिन जिला अदालत भोपाल में काफी चहल पहल थी. दिनांक 4 अगस्त 2016 को भोपाल के एक चर्चित मामले मनीष तखतानी हत्याकाण्ड का फैसला सुनाया जाने वाला था। 11 नवंबर 2013 को मनीष की गोली मार कर हत्या की गई थी। पुलिस द्वारा जांच में पता चला था कि हत्या उसकी पत्नी ने अपने से कम उम्र की प्रेमी से करवाया था. इस मामले की जांच पिपलानी थाने के टीआई सुधीर अरजरिया ने की थी. कोर्ट रूम में बैठे लोग आपस में चर्चा कर रहे थे. हर कोई अपनीअपनी राय दे रहा था. जिसकी वजह से वहां का माहौल शोरशराबे जैसा हो गया था. इतने में माननीय अपर न्यायाधीश महोदय अरूण शर्मा अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गए. उन्होंने आर्डर....आर्डर के साथ अदालत की कार्यवाही शुरू करने के लिए कहा. इसके साथ ही वहां सन्नाटा छा गया. मामले की सुनवाई करें. तब तक हम मनीष तखतानी की हत्या के पांच ‘क’ के बारे में यानी क्यों, कैसे, किसने, कहां और कब की इस बारे में जान लेते हैं. 
नवंबर माह में भोपाल में हल्की हल्की ठंड पड़ रही थी। लोग शाम होते ही अपने-अपने घरों में घुस गए थे।  ठंड की वजह से लोगों का आना-जाना लगभव थम सा गया था। 11नवंबर 2013 की आधी रात बीत चुकी थी। चुनावी माहौल होने के कारण पार्टियों की गाड़ियां सड़कों पर इधर से उधर दौड़ रही थी। पार्टियों के उम्मीदवारों के समर्थक अपने चुनावी जोड़-तोड़ में लगे हुए थे। आधी रात बीतने को थी लेकिन भोपाल पुलिस की नींद आंखों से गायब थी। पुलिस सख्ती से गश्त दे रही थी।
पिपलानी थाने के थाना प्रभारी सुधीर अरजरिया के साथ सीएसपी कुलवंत सिंह नाइट राउंड लगाकर अभी पुलिस स्टेशन में आकर बैठे थे की उन्हें वायलेस से बरखेड़ा पठानिया क्षेत्र में किसी युवक की अधजली लाश मिलने की सूचना मिली। लाश की सूचना मिलते ही टीआई सुधीर अरजरिया और सीएसपी कुलवंत सिंह तुरंत पुलिस फोर्स के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. मौके पर उन्होंने देखा वहां एक अधजली लाश पड़ी थी. उसके पास से डीजल की बदबू तो आ रही थी. लाश के पास एक खाली केन अथवा माचिस, लाइटर मौके पर मिलने से यह साफ हो गया था कि लाश खुद चलकर वहां नहीं आई थी बल्कि उसे लाकर यहां जलाया गया था।
इससे साफ जाहिर हो रहा था मरने वाला अपनी मौत नहीं मरा था, उसे मारा गया था। यह हत्या है, बात तय हो जाने के बाद पुलिस ने अधजले कपड़ों की तलाशी ली तो जेब में रखे 4000 रूपयों के साथ एक गैस कंपनी की रसीद भी मिली। मृतक के जेब से मिले 4000 हजार रूपये और हाथ की उंगली में पहने सोने की अंगुठी इस बात का पुख्ता सबूत थे कि हत्या किसी लुटपाट के इरादे से नहीं की गई, बल्कि युवक की हत्या के पीछे कोई ओर कारण हो सकता है।
युवक के जेब से मिली रसीद उस अभागे युवक की पहचान का दस्तावेज बनकर पुलिस को मृतक के घर तक ले गई। पुलिस ने उस रसीद पर लिखे मोबाइल नंबर के आधार पर पंचवटी कालोनी के ए-43 में रहने वाले तखतानी परिवार से संपर्क किया तो पता चला कि शहर के करोड़पति प्लायवुड व्यवसायी परिवार का इकलौते बेटा 32 वर्षीय मनीष रात से गायब है। पुलिस ने मनीष की लाश मिलने की सूचना दी तो परिवार के किसी मेम्बर को विश्वास नहीं हुआ. उसके परिवार के लोगों ने तुरंत मौके पर पहुंच कर मनीष के मृत श्रीर को देखा तो हैरान रह गए. उन्होंने मृतक की पहचान मनीष तखतानी के रूप में की।
मृतक मनीष तखतानी
(फाइल फोटो)
मनीष के परिवार वालों से पूछताछ के दौरान पता चला भोपाल के विभिन्न व्यवसायिक इलाकांे में प्लाइवुड की छह थोक दुकानों का मालिक मनीष है। वह घटना की शाम को अपनी एमपी नगर जोन-2 में स्थित दुकान को मामा के सुपुर्द कर शाम लगभग सात बजे अपनी कार से निकला था। मनीष की कार दूसरे दिन पुलिस को चेतक ब्रिज के पास कस्तूरबा नगर में लावारिस खड़ी मिल गई थी। इग्नीशन स्विच में चाबी लगी हुई थी साथ ही मनीष का मोबाइल भी कार में रखा हुआ था।
अगले दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. रिपोर्ट से जाहिर हो गया कि मनीष पर बड़े ही नजदीक से कुल तीन गोलियां मारी गई थी। गोलियां जिस कोण से मनीष के शरीर में दाखिल हुई थी, इससे जाहिर था कि गोली चलाने वाला शख्स ने कार के पिछले सीट पर बैठा हुआ था। इससे यह साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारा कोई परिचित ही था। इसके अलावा यह भी साफ हो गया था कि वह एक से अधिक थे, तभी तो मारने वाला कार के पीछे की सीट पर  बैठा हुआ था।
दूसरे दिन मनीष के शव को स्थानीय सिंधी समाज ने सड़क पर रखकर प्रदर्शन किया और स्थानीय सिंधी समाज ने एसपी अंशुमन सिंह को ज्ञापन सौंपकर हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार करने की मांग की। पुलिस मनीष के कातिलों को पकड़ने के लिए जुट चुकी थी। इसके लिए पहले तो सीएसपी कुलवंत सिंह ने खुद मनीष के घर जाकर उसके माता-पिता तथा पत्नी सपना से घटना के बारे मंे पूछताछ की।
 पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में मनीष की पत्नी सपना ने बताया कि उसे इस बारे में कुछ नहीं पता है। कुछ सोचते हुए उसने कहा, हां उस दिन शाम के समय मनीष ने दो एसएमएस जरूर उसे किए थे जिसमें उसने खाना खाकर देर से घर आने की बात लिखी थी।
पुलिस को अब मामला उलझता नजर आने लगा। क्योंकि पूछताछ में मनीष के दोस्तों और परिजनांे ने उसे मिलनसार व्यक्ति बताया था जिसकी किसी से कोई रंजिश नहीं थी। 2007 में मनीश की षादी खंडवा की सपना से हुई थी। वह अपने पिता दिलीप तख्तानी, मां वंदना, पत्नी सपना और साढ़े तीन साल की बेटी इशिका के साथ रहते थे। अगले दिन मनीष के मोबाइल की काॅल डिटेल भी निकलवा ली। ताकि पता चल सकें कि आखिरी समय में मनीष किसके संपर्क में था।
इसी बीच क्राइम ब्रांच एएसपी शैलेन्द्र सिंह चैहान को याद आया कि लगभग एक माह पहले मतृक मनीष पुलिस स्टेशन में उनसे मिलने आया था। उस दिन वह अपनी पत्नी सपना के अचानक लापता हो जाने की फरियाद लेकर पहुंचा था। बाद में उनकी ही सलाह पर मनीष ने कोहेफिजा थाने में 19 अक्टूबर को सपना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
उसके ठीक दो दिन बाद यानी 21 अक्टूबर को पुलिस को पता चला कि सपना अपने मायके खंडवा चली गई थी। वहां से लौटने के बाद सपना ने पुलिस को बताया कि वह अपनी थकान मिटाने के लिए मायके चली गई थी। सपना के बयान से पुलिस संतुष्ट नहीं थी, क्योंकि पुलिस भी इस बात को जानती थी कि कोई पत्नी अपने पति को बिना बताएं मयाके नहीं चली जाती है वह भी सिर्फ अपनी थकान मिटाने। सब कुछ जानते हुए भी पुलिस कई बार पारिवारिक मामलों को सुलझाने के इरादे से ऐसी बातों की ओर नजर अंदाज कर जाती है।
आरोपी हर्षप्रीत

पुलिस को यह पता नहीं था कि जिस बात को आज वह नजर अंदाज कर रहे है वहीं आगे चलकर एक दिन उनके गले में आकर इस तरह से फंस जाएगी। उस वक्त तो पुलिस ने ध्यान नहीं दिया लेकिन मनीष की हत्या हो जाने के बाद पुलिस के लिए अब यह जानना बहुत जरूरी हो गया कि उस दिन सपना अपने पति को बिना बताएं मायके क्यों चली गई थी? सपना के मायके जाने वाली बात पुलिस के लिए जांच का महत्वपूर्ण बिंदु बन गई। पुलिस मनीष की हत्या और सपना के अचानक गायब हो जाने की घटना को एक-दूसरे से जुड़ा हुआ मानने लगी। इधर मनीष के काॅल डिटेल में पता चला कि घटना की रात मनीष और हर्ष सलूजा के बीच मंे फोन पर बात हुई थी।
काॅलेज स्टूडेंट हर्ष सलूजा का परिवार और मनीष का परिवार कुछ समय पहले ईदगाह इलाके में एक दूसरे के पड़ोसी हुआ करता था। बाद में मनीष नेे पंचवटी कालोनी मंे अपना नया बंगला बनवाया और सपरिवार वहां आकर रहने लगा। हर्ष सलूजा के पिता का पुल बोगदा इलाके में आरा मशीन की दूकान थी। उन्होंने भी अवधपुरी में अपना नया मकान बना लिया और वहां आकर रहने लगे। इस तरह से दोनों परिवार वालों ने ईदगाह वाला अपना-अपना मकान छोड़ दिया था।
हर्ष का परिवार भी मनीष की तरह संपन्न है। आठवीं क्लास तक इंदौर के डेली काॅलेज में पढ़ा हर्ष इन दिनों बीकाॅम द्वितीय वर्ष में पढ़ने के साथ-साथ अपने पिता के व्यापार में हाथ भी बंटाता है। मनीष और हर्ष के बीच में क्या बात हो सकती थी, इस बात की जानकारी के लिए जब पुलिस ने मनीष के माता-पिता से पूछताछ की तो चैंकाने वाली बात सामने आई।
मनीष के चाचा ने तो सीधे-सीधे हर्ष पर ही मनीष की हत्या का शक जाहिर कर दिया। जब पुलिस इस दिशा में आगे बढ़ी तो उसे पता चला कि 22 साल के हर्ष की अपने से उम्र में काफी बड़ी मनीष की पत्नी सपना से गहरी दोस्ती थी। दोनों की इस दोस्ती को लेकर मनीष और सपना में कई बार तनाव भी बढ़ चुका था। पुलिस को पता चला कुछ समय पहले हर्ष के साथ सपना के संबंधों की परिभाषा तय करने के लिए मनीष ने सपना के मोबाइल की काॅल डिटेल निकलवाने की कोशिश भी की थी।
आरोपी सपना
मनीष को काॅल डिटेल तो नहीं मिली थी लेकिन यह बात सपना को पता चल जाने पर उसने अच्छा खासा बखेड़ा खड़ा कर दिया था। सपना का नाम बीच में आने पर पुलिस ने सपना की काॅल डिटेल निकलवाना उचित समझा. काॅल डिटेल में पता चला कि घटना के दिन देर रात में हर्ष और सपना के बीच दो बार बात हुई थी। यह बात सपना ने पूछताछ में पुलिस को नहीं बताई थी इसलिए पुलिस का शक गहरा सपना पर हो गया. मनीष की हत्या के पीछ कहीं न कहीं सपना और हर्ष का हाथ हो सकता? या मनीष के हत्यारों तक पहुंचने का रास्ता इन्हीं दोनों से ही मिल सकता है।
पुलिस ने जांच का पूरा फोकस सपना और हर्ष पर कर दिया. पुलिस ने एक दिन हर्ष को पूछताछ के पुलिस स्टेशन पर बुलाया और सपना को महिला थाने भेज दिया। पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद दोनों ही इस बात को भली प्रकार समझ गए कि उनका खेल खत्म हो चुका है, लेकिन जहां हर्ष ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया वहीं सपना ने यह स्वीकार तो कर लिया कि उसकी हर्ष से गहरी दोस्ती है, लेकिन हर्ष ने मनीष का कत्ल कर दिया है इस बात की उसे जानकारी नहीं थी।
जबकि हर्ष ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए पुलिस को बताया कि वह सपना से प्यार करता है और  सपना भी उसे प्यार करती है। वह सपना से शादी करना चाहता था, लेकिन सपना मनीष को छोड़कर उसके साथ शादी करने के लिए राजी नहीं थी। इसलिए उसने भाड़े के हत्यारों को डेढ़ लाख रूपए और रिवाल्वर देकर मनीष की हत्या करवा दी, जिससे सपना मनीष से मुक्त हो जाएं और वह उसके पास आ जाएं। उसने पुलिस को यह भी जानकारी दी की इस काम की जानकारी परी तरह से सपना को भी थी।
आरोपी अमीन खान
सपना ने इसके लिए पचास हजार रूपए भी उसे दिए थे। हर्ष के इस खुलासे के बाद पुलिस ने बरखेड़ी इलाके में रहने वाले उन दोनांे युवकों को धर दबोचा जिनके नाम हर्ष ने सुपारी किलर के तौर पर पुलिस को बता रहा था, लेकिन उन दोनों ने इस अपराध में शामिल होने से साफ मना कर दिया। पुलिस ने जब उन दोनों के मोबाइल की लोकेशन की जांच की तो यह स्पष्ट हो गया कि वह दोनों सही कह रहे है क्योंकि उनके मोबाइल की काॅल डिटेल के अनुसार  घटना के समय उन दोनों की मौजूदगी दूसरे क्षेत्रों में बता रही थी।
इधर पूछताछ में सपना हर्ष से प्यार की बात तो स्वीकार कर रही थी लेकिन हत्या में शामिल होने की बात से इंकार कर रही थी। पुलिस के पास सब कुछ होते हुए भी मनीष की हत्या का कारण उनके हाथ में नहीं आ रहा था और न ही असली मनीष, सपना और हर्ष सलूजा की सही-सही पूरी कहानी सामने आ पा रही थी।
आखिर में हकीकत जानने के लिए सीएसपी कुलवंत सिंह ने मनोवैज्ञानिक तरीके से हर्ष को तोड़ा। हर्ष भी पुलिस की पूछताछ से थक चूका था। वह यह तो समझ ही गया था कि अब वह पुलिस के हाथों से बच नहीं सकता है। इसलिए उसने मनीष की हत्या के पांचवे दिन सब कुछ सच-सच बयान कर दिया।
हर्ष के बयान के आधार पर पुलिस ने जहांगीराबाद में रहने वाले मनीष के पुराने नौकर अमीन खान को गिरफ्तार कर लिया, जिसने मनीष की कार में लगे खून के दाग को धोने में हर्ष की मदद की थी। वहीं हर्ष के बयान से यह भी पता चल गया कि मनीष की हत्या करने के बाद उसने सारी बात सपना को भी बता दी थी। इसलिए सपना को पता था कि हर्ष ने ही उसके पति मनीष की हत्या की है लेकिन यह बात उसने पुलिस और परिवार वालों से छुपाएं रखी।
मनीष और सपना
पुलिस ने सपना को भी अमीन की तरह मनीष की हत्या में सह आरोपी मानते हुए गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने तीनों आरोपियों को अदालत में पेश करके उन्हें रिमांड पर ले लिया और मनीष की हत्या में प्रयुक्त रिवाल्वर भी जब्त कर लिया। गिरफ्तार तीनों आरोपियों के बयान के बाद लिटिल लवर के चक्कर में एक हंसते खेलते परिवार की बर्बादी की जो कहानी सामने आई वह इस प्रकार थी।
भोपाल के जाने-माने प्लायवुड व्यवसायी दिलीप तखतानी के इकलौते बेटे मनीष की शादी खंडवा की सपना से छह साल पहले हुई थी। उस वक्त मनीष का परिवार ईदगाह इलाके में रहता था। रईस परिवार के इकलौते बेटे की शादी थी और दुल्हन भी खूबसूरत थी इसलिए कई दिनों तक मोहल्ले में मनीष की शादी की झूम थी। इस मौके पर मनीष के पड़ोस में रहने वाले सलूजा परिवार के साथ उनके बेटे हर्ष सलूजा ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। उसने शादी के समय बारात में खूब भांगड़ा किया और खूब मस्ती की थी। उम्र में बड़ा होने के नाते वह मनीष को भैया कहकर बुलाता था इसलिए जब उसका भाई चांद सी सुंदर भाभी लाया तो देवर को तो खुश होना ही था। बहरहाल शादी के बाद मनीष भी सपना को पाकर बहुत खुश था और उसके माता-पिता भी गर्व से फूले नहीं समा रहे थे।
सब कुछ अपनी जगह ठीक चल रहा था। दो साल बाद मनीष एक बच्ची का पिता भी बन गया। मनीष के पिता दिलीप तखतानी ने कई साल पहले एक छोटे से दुकान से अपना कारोबार शुरू किया था। आज पूरे शहर में दर्जनों नौकरों से भरी उनकी अपनी प्लायवुड की छह दुकान है।
कहना नहीं होगा कि शहर के अलग-अलग इलाके में फैले इस व्यापार को संभालने के लिए मनीष को पूरा समय देना पड़ता था। फिर भी सपना को खुश रखने के लिए वह पूरी कोशिश करता था। वह अपने काम के साथ-साथ अपने परिवार को भी पूरा समय देता था। सपना को आने-जाने में कोई असुविधा न हो इसके लिए मनीष ने उसे एक कार भी खरीदी कर दी थी और खर्चे के लिए उसे अपना एटीएम कार्ड भी दे दिया था।
मनीष की शादी के समय हर्ष 16-17 साल का किशोर था। समय के साथ वह जवान हुआ तो सपना भाभी जो पहले भी सुंदर लगती थी अब और भी सुंदर लगने लगी। मगर बड़े हो जाने पर भाभी की सुंदरता को देखने का उसका नजरिया बदल गया था। पड़ोसी होने के नाते दोनों परिवारों का एक-दूसरे के घर पर आना-जाना था। इसलिए हर्ष की मुलाकात सपना से अक्सर होती रहती थी। सपना हर्ष से उम्र में बढ़ी थी। उसने दुनिया भी ज्यादा देखी थी। इसलिए जल्द ही सपना को इस बात का अंदाजा हो गया कि कभी उसकी संुदरता को सम्मान देने वाली नजरें अब उसे दूसरी ही नजरों से नापने-तौलने लगी है।
हर्ष उम्र के उस दौर से गुजर रहा था जहां उसकी सोचने समझने की उम्मीद ही नहीं की जा सकती है, पर सपना उम्र मंे उससे बड़ी और शादीशुदा थी। ऐसे में उसे अपना और हर्ष का भविष्य देखते हुए उससे दूरियां बना लेनी चाहिए थी, पर सपना ने ऐसा नहीं किया। धीरे-धीरे बढ़ती मुलाकातें ने सपना और हर्ष को और करीब कर दिया। इतना ही नहीं जल्दी ही दोनों में प्रेम संबंध भी स्थापित हो गया।
हर्ष को सपना के अलावा अब कोई दूसरा नजर ही नहीं आता था। लेकिन कहते है प्यार एक ऐसी चीज है जिसकी भनक धीरे-धीरे आसपास के लोगों तक पहुंचने लगती है। सपना और हर्ष के बीच पनपते प्यार की भनक भी दोनों परिवार वालो को हो गई। मनीष को जब इस बात का पता चला तो उसने सपना को हर्ष से मिलने से मना किया। लेकिन सपना का लगाव हर्ष से इतना अधिक बढ़ चुका था कि उसे अपने पति की बातों का कोई असर ही नहीं हुआ।
सपना और हर्ष के बीच घटती नजदीकी को लेकर दोनो में तनाव बढ़ने लगा, जिसका अहसास मनीष के माता-पिता को भी हो गया था। सपना के माता-पिता को यह सब पता था या नहीं यह तो साफ तौर पर पता नहीं है लेकिन सपना की एक शादीशुदा बहन को जरूर इस नए रिश्ते के बारे में पता था। उसने सपना को सही-गलत समझाने की कोशिश भी की थी लेकिन सपना ने किसी की नहीं सुनी। कुछ दिनों बाद मनीष ने पंचवटी कालोनी मंे नया मकान खरीद लिया और परिवार सहित नए मकान में आकर रहने लगे। दूसरी तरफ हर्ष के पिता ने अयोध्या नगर मे अपना नया मकान बनवा लिया और उनका परिवार वहां जाकर रहने लगा।
दोनों परिवारों के दूर-दूर हो जाने से मनीष को लगा कि अब सपना और हर्ष के बीच की नजदीकियां भी खत्म हो जाएगी, पर ऐसा नहीं हुआ। उल्टे हर्ष ने घर वालों से छुपकर एक मकान किराए पर ले लिया और उस मकान में सपना अक्सर उससे मिलने के लिए आने लगी। लोगों का कहना है कि वहां के आस पड़ोस के लोग तो उन दोनों को पति-पत्नी ही समझते थे।
समय के साथ उनका रिश्ता सपना के लिए एक समस्या बनता जा रहा था। एक तरफ उसकी बेटी बड़ी हो रही थी और दूसरी तरफ हर्ष, सपना से शादी करने के लिए उसे मनीष से अलग होने के लिए दबाब डाल रहा था, लेकिन सपना के लिए यह सब इतना आसान नहीं था।
हर्ष जब भी शादी की बात करता, सपना मनीष को अपनी मजबूरी बताकर बात को वहीं पर खत्म कर देना चाहती थी। सपना की बातें सुनकर हर्ष उससे कहता कि अगर वह उससे शादी नहीं करेगी तो वह या तो अपनी जान दे देंगा या मनीष की जान ले लंेगा। सपना हर्ष की बातों से घबरा जाती और उसे समझा बुझा कर शांत कर देती।
सपना को उस वक्त इस बात का थोड़ा सा भी अंदाजा नहीं था कि उसके और हर्ष के इस नए रिश्ते का अंजाम क्या होगा। इधर हर्ष, सपना को मनीष से छुटकारा दिलवाने का उपाय सोचने लगा। हर्ष को अब मनीष अपना बड़ा भाई नहीं बल्कि अपने प्यार के रास्ते मंे आने वाला सबसे बड़ा दुश्मन समझने लगा।
सपना और हर्ष के रिश्ते को लेकर मनीष इतना नाराज था कि एक दिन दोनों पति-पत्नी में खूब झगड़ा हुआ। सपना नाराज होकर चुपचाप बिना किसी से कुछ कहें घर से निकल गई और हर्ष द्वारा लिए उस किराए के मकान में चली गई, जहां दोनों अक्सर एक-दूसरे मिला करते थे।
अक्टूबर का महीना था। सपना उस घर में दो दिन तक हर्ष के साथ रही, फिर अपने मायके खंडवा चली गई। तब तक मनीष एएसपी श्री चैहान से मिलने के बाद कोहेफिजा थाने में सपना की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा चुका था। बाद में सपना खंडवा से ससुराल वापस आ गई तो बात वहीं खत्म हो गई।
इधर सपना द्वारा ससुराल से चले आने पर हर्ष को लगा कि अब सपना उसकी ही होने वाली है, लेकिन सपना जब अपने मायके से वापस ससुराल आ गई तो हर्ष का सपना, सपना बन कर ही रह गया। हर्ष को लगा कि जब तक मनीष जिंदा है तब तक सपना उसे कभी नहीं मिल सकती है। वह सपना के प्यार में ऐसा पागल हो गया था कि उसे पाने के लिए उसने मनीष की हत्या करने का निश्चय कर लिया।
11 नवंबर के दिन हर्ष ने शाम के समय मनीष को फोन किया। उसने मनीष को मिलने के लिए वीआईपी रोड पर बुलाया। मनीष भी हर्ष से मिलकर सपना और उसके रिश्ते के बारे में बात करना चाहता था। इस लिए शाम के समय उसने मामा को दुकान पर छोड़कर हर्ष से मिलने के लिए वीआईपी रोड़ पहुंच गया। मनीष जैसे ही वहां पहुंचा हर्ष अपनी बाइक वहीं छोड़कर मनीष के कार में पीछे की सीट पर बैठ गया।
बातचीत के दौरान खतरे की आशंका होने पर मनीष कार वापस लौटाने लगा। यह देखकर हर्ष ने तुरंत उसके सिर पर गोली दाग दी और बाद में दो और गोली उसे मारी। इसके बाद उसने अकेले ही ड्राइवर की सीट से मनीष की लाश को उठाकर बाजू वाली सीट पर रखा और उसे चादर से ढक दिया। यहां से वह पूरे शहर से लाश को भारी चेकिंग से बचाते हुए बरखेड़ा के खंडहर में ले गया। जहां उसने लाश को आग लगा दी।
इसके बाद वह मनीष की कार लेकर चेतक ब्रिज के पास पहुंचा। वहां उसने अमीन खान को पानी लेकर बुलाया जिसके बाद दोनों ने कार से खून के निशान साफ करने की कोशिश की। इसके बाद कार में लगे खून के दाग धोकर हर्ष ने मनीष की कार को चेतक ब्रिज के पास कस्तूरबा नगर में खुली जगह पर कार में चाबी लगा कर छोड़ दिया। उसका सोचना था कि कार में चाबी लगी देख कर कोई भी उसे चुरा ले जाएगा। मोबाइल की लोकेशन देख कर पुलिस कार चोर के पीछे लग जाएगी और वह साफ बच निकलेगा, लेकिन मनीष के मोबाइल के लोकेशन के आधार पर पुलिस कार चोरी के पहले ही कार तक पहुंच गई।  
अमीन खान, मनीष का पुराना नौकर है। हर्ष के बयान के आधार पर पुलिस ने अगले दिन मनीष के पुराने नौकर अमीन खान को भी गिरफ्तार कर लिया। हर्ष और अमीन खान से पूछताछ के दौरान पुलिस को और भी कई बातें मालूम पड़ी, जिसके आधार पर पुलिस ने सपना को भी मनीष की हत्या मंे सह आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया।
हर्ष के बयान के अनुसार उसने मनीष की हत्या के बाद फोन द्वारा सारी बातें सपना को बता दी थी, जबकि सपना ने पुलिस से यह बात छुपाई थी। गिरफ्तारी के बाद भी सपना ने इतनी हिम्मत दिखाई कि वह अपने आप को निर्दोष साबित करती रही। पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए उसने पुलिस को बताया कि मनीष ने अपने बिजनेस के लिए मार्केट से काफी लोगों से रकम उधार ले रखा था। हो सकता है इस सिलसिले में किसी ने मनीष की हत्या कर दी  हो।
जब पुलिस ने बताया कि उसे हर्ष के बयानों के आधार पर गिरफ्तार किया गया तो वह टूट गई। वह पुलिस के सामने फूटफूट कर रोने लगी। उसने बताया कि हर्ष, मनीष को रास्ते से हटाकर उसे अपने साथ अमृतसर लेकर जाने वाला था। इसके लिए उसने कई महिनों पहले ट्रेन का रिजर्वेशन भी करवा लिया था। मनीष की मौत के बाद सब कुछ खो चुके उसके परिजनों ने सपना से थाने में मिलने की भी कोशिश नहीं की। सपना की बेटी उसी के बहन के पास है।
अमीन खान की तरफ से जमानत अर्जी दाखिल की गई थी। अमीन की तरफ से लगाई गई अर्जी में कहा गया था कि पुलिस ने कोई सबूत नहीं जुटाएं अदालत में अभियोजन ने कहा कि अमीन ने मनीष की हत्या के बाद शव को जलाने के लिए पेट्रोल का इंतजाम किया था। अदालत ने केस डायरी के अध्ययन के बाद अमीन खान की अर्जी खारिज कर दी. पिछले तीन सालों से तीनों जेल में रह रहे थे.
‘‘आर्डर ...आर्डर.’’ न्यायाधीश महोदय ने कार्यवाही शुरू करने के लिए कहा. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश महोदय ने मनीष तखतानी के तीनों हत्यारों को आजीवन कैद तथा 11 हजार रूपए जुर्माना की सजा सुनाई। सजा सुनने के बाद भी उसके चहरे पर जरा सी भी शिकन नहीं आई। मासूम, हंसते हुए चेहरे की इस महिला को देखकर शायद ही कोई यकीन करें कि इसने खौफनाक वारदात को अंजाम दिया है। किसी को भरोसा नहीं होगा कि हाईप्रोफाइल घर की पढ़ी-लिखी इस खूबसूरत महिला ने प्रेमी के हाथों अपने पति का कत्ल करवा दिया। शायद इस मुस्कुराते चेहरे वाली महिला को अपने अपराधों का कोई पछतावा नहीं था। फैसले के बाद जब सपना को जेल भेंजा जाने लगा तो वह अपने परिजनों से बातचीत में लगी रही.
    इस मामले में पैरवी करने वाले उपसंचालक अभियोजन एके सक्सेना ने बताया कि पति की हत्या करवाने वाली सपना ने अदालत से गुहार लगाई थी कि वह एक महिला है और उसकी एक छोटी बेटी है इसलिए उसे सजा दिए जाने में उदारता बरती जाए. वहीं आरोपी हर्षप्रीत एवं अमीन की ओर से भी कम उम्र के युवक होने तथा पूर्व का आपराधिक रिकार्ड न होने से सजा दिए जाने में उदारता बरतने की प्रार्थना की गई थी. न्यायाधीश ने तीनों को हत्या के मामले में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
(कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित)

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