Crime Stort: खून से सने रिश्तें
खून से सने रिश्तें
मुंबई के मुंबई सेन्ट्रल इलाके में एक बाप ने अपनी बेटी की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि बेटी ने गैर बिरादरी में शादी कर ली थी. बाप ने बड़े ही क्रूरतापूर्ण तरीके से बेटी की हत्या कर छोटे-छोटे टुकड़े बनाकर फेंक आया था.
मुंबई के बोरीवली इलाके में एक बेटे ने बाप की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि बाप रिटायरमेंट के बाद मिली रकम बेटे को नहीं देना चाहता था.
थाणे के भायंदर इलाके में एक पति ने अपनी पत्नी की इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसे अपनी पत्नी पर शक था कि उसका किसी के साथ अवैध संबंध हैं.
नवी मुंबई इलाके में पत्नी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी क्योंकि पति उनके बीच कांटा बन रहा था.
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चेंबूर इलाके में बेटे ने अपनी मां की हत्या इसलिए की क्योंकि वह उसकी प्रेमिका से मिलने के लिए हमेशा मना करती थी. मां का मानना था, उस लड़की का चरित्र अच्छा नहीं है. इसलिए वह उससे मेलजोल न रखें. यह बात लड़के को बूरी लगी और एक दिन लड़के ने मां की गला दबा कर हत्या कर दी. जब वह अपने बेडरूम में सो रही थी.
प्रवीण महाजन ने अपने बड़े भाई प्रमोद महाजन की गोली मारकर हत्या कर सनसनी फैला दी थी.
मुंबई के मशहूर बार ‘गोल्डन क्राउन’ के मालिक दो भाईयों में सम्पत्ति को लेकर हुए विवाद में छोटे भाई मोहन शेट्टी ने बड़े भाई मनोहर शेट्टी पर गोलियां चलाकर हत्या कर दी.
मुंबई के कफ परेड में रहने वाले ललित ने अपनी बहन लोखा को गोली मार कर हत्या कर दी. ललित मुंबई के मशहूर होटल ‘ललित होटल’ का मालिक हैं.
यह चंद उदाहरण है. ऐसे घटनायें आये दिन किसी न किसी शहर में घटती हैं. सवाल यह है कि ऐसी घटनायें क्यों घट रही हैं? रिश्तों का माधुर्य खत्म होकर कब हिंसा में बदल जाता हैं? क्यों खत्म हो रही है रिश्तों की संवेदना?
मनुष्य रिश्तों और संबंधो से गुंथा हुआ सामाजिक प्राणी हैं. इनमें खून के रिश्ते सबसे आत्मीय श्रेणी में आते हैं. पिछले कुछ दशकों में खून के रिश्ते में दुरियां आने लगी हैं. छोटी-छोटी बातों को लेकर खून के रिश्ते को खून करने में हिचक नहीं हो रही हैं.
समाजशास्त्रियों का कहना है, समाज पर से लोगों का भय दूर हो गया. संयुक्त परिवार टूट रहे हैं. एकल परिवारों की संख्या बढ़ रही हैं. खून के रिश्ते जहां एक दुसरे पर जान छिड़कते थे. आज जान लेने पर उतारू हो गए हैं.
इस बारे में हमने समाजाशास्त्री अपर्णा मनोज से बात की तो उन्होंने बताया, रिश्तों का प्यार बंधन खत्म हो रहा है. आपसी रिश्तों में हिंसा घुस गयी हैं. जिसकी वजह से लोग अपने खून का खून करने में नहीं चुक रहे हैं.
समाजशास्त्री अपर्णा का कहना है, रिश्तों में अपनापन खत्म हो रहा हैं. समाज दिन-व-दिन चूंकि अकेला होता जा रहा है. इसलिए बाहर और भीतर खालीपन बढ़ने लगता हैं. जिसकी वजह से अपनापन मोहमाया खत्म होती जा रही हैं. यही कारण है कि खून के रिश्ते खून से सन जाते हैं.
- व्यावसायिक प्रतियोगिता
- बर्दाश्त करने की क्षमता कम/असहनशीलता
- बचपन से ही हिंसक
- अविश्वास
- सम्पत्ति विवाद
- पारिवारिक कलह
- अवैध संबंध
व्यवसायिक प्रतियोगिता भी अपसी रिश्तों का शिकार हो रही हैं. दो भाईयों द्वारा एक ही व्यवसाय करना दोनों के रिश्तों में दराद डाल सकते हैं. इसका परिणाम किसी एक की हत्या पर जाकर ठहर सकती हैं. अपर्णा कहती है, कुछ ऐसे लोग भी देखें गये है जो बचपन से ही हिसंक प्रवृति के होते है. बड़े होने पर भी उनमें रिश्तों का मर्म नहीं होता. छोटी मोटी किसी भी बात पर रिश्तों के आरपार चाकू या गोली चलाने मेंनहीं हिचकते हैं. बर्दास्त करने की अक्षमता यानी असहनशीलता भी रिश्तों की बलि ले लेती हैं. खून के रिश्तों में अविश्वास आना बड़ा ही खतरनाक होता हैं. इसकाा परिणाम किसी की हत्या पर पहुंचता हैं. सम्पत्ति विवाद भी रिश्तों की बलि ले लेती हैं. किसी भी बात को लेकर पारिवारिक विवाद लंबे समय तक चलता रहा तो खून के रिश्ते को आर-पार गोली जा सकती हैं.
खून के रिश्तों में हाथ सने होने का सबसे मुख्य कारण अवैध संबंध होता हैं. कोई भी पुरूष अपनी पत्नी को दुसरे की बाहों में देखना तो क्या इस बारे में सुनना भी पसंद नहीं करता हैं. अवैध संबंध रिश्तों की हत्या करने से हाथ नहीं कांपते.
इस बारे में मनोचिकित्सक सौरव चक्रवर्ती का कहना है कि तनाव, हिंसा, गरीबी, ख्याहिशें रिश्तों के बीच दूरियां लाती है. दूरियां अधिक बढ़ जाने पर रिश्तों का खून हो जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं हैं. जहां तनाव और हिंसा की वजह से बिना मतलब लोग रिश्तों के खून की होली खेल लेते हैं. वहीं गरीबी और ख्वाहिशें रिश्तों का गला घोंट सकते हैं.
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