Crime Story: फर्जी एथिकल हैंकर
![]() |
Crime Story: फर्जी एथिकल हैंकर |
Crime Story: फर्जी एथिकल हैंकर | Dr. mk mazumdar
अमित बीई के थर्ड एयर में था. उसने साल भर ठीक से क्लास अटेंड नहीं किया था, जिसकी वजह से उपस्थिति मात्र 4 प्रतिशत थी. प्रिंसीपल ने उसे परीक्षा में बैठाने से मना कर दिया. उसने प्रिंसीपल को समझाने की कोशिश की कि वह POLICE का एथिकल हैंकर है, जिसकी वजह से वह नियमित काॅलेज नहीं आ सका. POLICE का एथिकल हैकर (ETHICAL-HACKER)होने की वजह से उसे छूट मिलनी ही चाहिए. प्रिंसीपल ने अमित की बात पर ध्यान नहीं दिया. उनका कहना था, ‘रूल तो रूल होता है’.यह सुन कर अमित का गुस्सा मानों सातवें आसमान में पहुंच गया. वह प्रिंसीपल को देख लेने की धमकी देने लगा, इस पर प्रिंसीपल ने गार्ड बुला कर अमित को आॅफिस से बाहर करवा दिया.
Crime Story: फर्जी एथिकल हैंकर, mystery, suspense story in english, crime stories, crime stories hindi, murder mystery, Crime Stories Hindi, Cyber Crime, L.S.D, Mumbai Crime, dr. mk mazumdar
अमित प्रिंसीपल की बात से काफी बौखालाया हुआ था. अगले दिन वह पीली बत्ती लगी कार में साइरन बजाते हुए काॅलेज पहुंचा. उसके साथ दो बाॅडी गार्ड भी थे, जो हथियार से लैस थे. पीली बत्ती गाड़ी सायरन बजाती हुई जैसे ही काॅलेज परिसर में पहुंची, सभी का ध्यान उस ओर गया. कार के रूकते ही गार्ड ने उतर कर गाड़ी का दरवाजा खोला. उसमें से अमित किसी बड़े अधिकारी की तरह रोबदार अंदाज में उतरा और धड़धड़ाता हुआ प्रिंसीपल के आॅफिस में पहुंचा. अमित को देख कर प्रिंसीपल ने कहा, “बिना पूछे तुम अंदर कैसे आ गए, गेट आउट.’’
“गेट आउट कहने के पहले यह लेटर देख लो.’’ अमित ने एक लेटर प्रिंसीपल की ओर बढ़ा दिया.
प्रिंसीपल ने लेटर पर सरसरी निगाह डाली और कहा, “ठीक है तुम जाओ मैं देख लूंगा.’’
“साॅरी सर, मुझे जवाब इसी वक्त चाहिए. यदि आप अनुमति नहीं देंगे तो मुझे होम मिनिस्टर से बात करनी होगी.’’ अमित ने कड़े शब्दों में कहा.
प्रिंसीपल ने मौके की नजाकत को समझते हुए अमित को सामने कुर्सी पर बैठने के लिए कहा और उससे उसके काम के बारे में पूछा. हर्षित ने बताया, वह सेंट्रल गवरमेंट का कर्मचारी है. उसे 7 लाख रूपये यूएस गवरमेंट द्वारा दिया जाता है. पिछले कुछ समय से वह POLICE के लिए एथिकल हैकर (ETHICAL-HACKER)के रूप में उनकी मदद कर रहा है. अब तक उसने सैकड़ों मामले ट्रेस किए. बातों बातों में उसने बताया, उसने सर्टिफाइड नेटवर्क डिफेंस आर्किटेक्ट की परीक्षा में आल इंडिया में तीसरा स्थान प्राप्त कर चुका है.
पूरी बात सुनने के बाद प्रिंसीपल ने उसे परीक्षा में बैठने का आवाशन देकर वहां से विदा किया. वह अपने दो बाॅडी गार्ड के साथ पीली बत्ती लगी कार में सायरन बजाता हुआ काॅलेज परिसर से चला गया.
प्रिंसीपल तुरंत CRIME BRANCH पहुंचे. उन्होंने CRIME BRANCH एसीपी दिलीप सोनी को वह पत्र दिखाया, जो अमित ने उन्हें दिया था.
एसीपी सोनी ने गौर से लेटर देखा, जिसमें POLICE की मदद के कारण अमित को परीक्षा में छूट देने की बात लिखी हुई थी. उस पत्र में सर और रिक्वेसट जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था. साधारणतः POLICE डिपार्टमेंट के किसी बड़े अधिकारी द्वारा लेटर में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. उन्हें पहली ही नजर में वह पत्र फर्जी लगा, लेकिन मामला सेंट्रल से जुड़ा हुआ था क्योंकि लेटर हेड पर POLICE का लोगो लगा हुआ था और नीचे आईपीएस एसएल सेन के हस्ताक्षर भी थे, इसलिए सभी तरह की जांच के बाद ही कोई कदम उठाना उचित था.
एसीपी सोनी ने पत्र की फोरेंसिक जांच का आदेश दिया. फोरेंसिक एक्सपर्ट ने तुरंत जांच कर पत्र को फर्जी बताया. पत्र पर लगे लोगों व अधिकारी के हस्ताक्षर नकली थे. पत्र पूरी तरह से फर्जी पाए जाने पर एसीपी सोनी ने इस मामले की जांच का काम एसआई श्रद्धा यादव, वायबी मिश्रा, विजय सिंह चैहान की टीम को सौंप दिया.
अगले दिन CRIME BRANCH की टीम अमित के घर न्यू फ्लासिया पहुंची. गेट पर खड़े गार्डो ने CRIME BRANCH की टीम को अंदर जाने से रोका. गेट पर खड़े गार्ड ने कहा, बिना अपाइमेंट के साहब किसी से नहीं मिलते, क्या आप ने अपाइमेंट लिया है.’ गार्ड की बात को ध्यान दिए बिना CRIME BRANCH की टीम अंदर चली गयी.
अमित ने कई लोगों को अपने घर में घुसते देखा, तो चिल्ला कर कहा, “गार्ड जल्दी यहां आओ.’’
अंदर कमरे से गनधारी गार्ड सामने आ गए. CRIME BRANCH की टीम ने अमित से कहा, “परेशान होने की आवश्यकता नहीं है. हम CRIME BRANCH से है. कुछ पूछताछ करने आए है.’’
“पूछताछ का यह कोई तरीका है, बिना टाइम लिए आ गए. मैं एक सेंट्रल गवरमेंट के POLICE का एथिकल हैकर (ETHICAL-HACKER)हूं. फोन लगा कर अपने साहब से बात करो, वर्ना तुम सभी को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा.’’
’’आपको साहब ने ही अपने सामने हाजिर करने के लिए कहा है, इसके लिए हमें बिना अपाइमेंट ही आना पड़ा.’’
अमित उनके साथ चलने के लिए तैयार नहीं हुआ. वह CRIME BRANCH की टीम को धमकी देता रहा, जब उन्होंने अपना पुलिसिया हाथ दिखाया तो शांत हो गया. उसके घर की तलाशी में ढ़ेर सारे लेटरहैड, सार्टिफिकेट, आइडेंटी कार्ड आदि जब्त किए. थोड़ी देर पहले CRIME BRANCH की टीम को धमकाने वाला अमित पसीने से तर हो गया. POLICE ने अमित के साथ उसके दो पर्सनल बाॅडी गार्ड को भी गिरफ्तार कर लिया.
अमित ने अपना अपराध कबूल कर लिया. CRIME BRANCH को दिए गए बयानों के आधार पर, अमित मूल रूप से सनावद इंदौर का रहने वाला है. उसके पिता राजाबहादुर जैन नागौद में पीडब्लूडी में अकाउंटेंट थे. अमित ने पहले इंदौर के वैष्णव इंजीनियरिंग काॅलेज से पाॅलिटेक्निक अच्छे नंबरों से पास किया था. अमित ने अपने पिता से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने अमित का एडमिशन वैष्णव इंजीनियरिंग के आईटी सेक्शन में करवा दिया.
अमित ने दो साल अच्छे से पढ़ाई की, लेकिन थर्ड इयर में वह काॅलेज नहीं जाता था. वह अक्सर कार से यहां वहां घूमा करता था. उसने कार किराए पर ले रखी थी और कार में कभी लाल तो कभी पीली बत्ती लगाकर घूमता था. उसके पिता ने उसे टाटा की एक कार खरीद कर दी थी, जिसे उसने बेंच दी थी.
हर्षित खुद को POLICE का एथिकल हैकर (ETHICAL-HACKER)बताया करता था. उसने अपनी सुरक्षा के लिए दो गनमैन विनोद सिंह परिहार (43) निवासी स्कीम नंबर-78 तथा भानु प्रसाद धापक (34) निवासी मालवीय नगर को अच्छी खासी सैलरी पर रखा था. दोनों गार्ड उसके साथ चैबीसों घंटें रहते थे. हर्षित जब भी बाहर निकलता वह बड़े अधिकारी की तरह दबदबा दिखाता था. कहीं भी आने जाने पर दोनों गनमैंन उसे इस तरह से कवर किए रहते थे जैसे वह वीआईपी हो. उसके रंगढ़ंग से लोग उसे वीआईपी ही समझते थे.
वह हर किसी से नहीं मिलता था, जो उससे मिलना चाहता था उसे पहले से समय लेना होता था. वह अपने दोस्तों से भी कम मिलता था. जब भी मिलता उनसे कहता था, ‘मैं भारत सरकार के एक विशेष काम में लगा हुआ है. उसे पूरा करने पर मेरा नाम पूरी दुनिया में छा जाएगा. दोस्तों के पूछने पर यह कभी नहीं बताया कि वह किस काम में लगा हुआ है.
उसने इंदौर के बायपास स्थित होटल सोमदीप का मेंबरशिप ली थी.वह अपनी अधिकतर रातें वहीं गुजारता था. वह होटल मंे इस तरह से रहता था जैसे काम में काफी व्यस्त है. वह प्रसिद्ध एथिकल हैकर (ETHICAL-HACKER)अंकित पंडया की तर्ज पर खुद की बायोग्राफी लिखने का ढिंढ़ोरा पीटता था.
हर्षित इतना शातिर था कि दोस्तों को इस बात की भनक भी नहीं लगने दी कि वह जो काम कर रहा है, फर्जी है. उसके परिवार वालों को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था. POLICE जांच में पता चला है कि उसने अपने जीजी सहित कई लोगों को लाखों रूपए का चूना लगाया चुका है. उसने पुणे में रहने वाले अपने जीजी को जाली रजिस्ट्री दिखा कर प्रापर्टी में हिस्सेदार बनाया और इसके एवज में 10 लाख रूपए की चपत लगा दी.
हर्षित ने पिछले साल अपने एक दोस्त गोपाल पटेल जो हाॅस्टल में उसका रूम पार्टनर था, के पिता मुकेश पटेल से मेडिकल काॅलेज में एडमिशन दिलाने के नाम पर लाखों रूपए ठग लिए. उसने गोपाल का एडमिशन उज्जैन के आर्डी-गार्डी काॅलेज में कराने के लिए 10 लाख रूपए लिए थे. उसने व्यापमं की फर्जी लिस्ट तैयार की और गोपाल का नाम उसमें जोड़ कर उसके पिता को दिखा दिया. जब गोपाल का एडमिशन काॅलेज में नहीं हुआ तो अमित ने बहाना बना दिया और बड़े मुश्किल से रूपए लौटाएं.
इसके अलावा मेडिकल में एडमिशन के नाम पर उसने अपने दो परिचितों से 27 लाख रूपए ठग लिए. जब उनका एडमिशन नहीं हुआ तो उन्होंने रूपए लौटाने के लिए कहा. वे रूपए मांगतेमांगते परेशान हो गए, पर उसने रूपए नहीं लौटाए. उसने इंदौर के उद्योगपति कमलेश जैन से बेटे का मेडिकल में एडमिशन करवाने के लिए 18 लाख रूपए लिए. एडमिशन न होने पर उसने बड़े मुश्किल से 9 लाख रूपए का चेक कमलेश को दे दिया, पर वह चेक क्लीयर नहीं हुआ. उसने एसटीएफ एडीजी का फर्जी लेटर बना कर कमलेश के रूपए हड़पने की योजना बनाई, लेकिन इसके पूर्व POLICE की गिरफ्त में आ गया. POLICE इस जांच में जुटी है कि उसका सम्पर्क मेडिकल में फर्जी तरीके से एडमिशन करवाने वालों से तो नहीं है.
अमित गाड़ी की सर्विसिंग से लेकर जो भी काम करवाता था उसका बिल एसपी POLICE मुख्यालय इंदौर के नाम से बनवाता था. अमित इतना शातिर निकला कि उसने लगभग POLICE के हर बड़े अधिकारी के फर्जी लेटर हैड बनवा रखें थे. उसके पास POLICE मुख्यालय और मिनिस्ट्री आॅफ कम्युनिकेशन एण्ड इंफाॅर्मेशन टेक्नोलाॅजी के नाम के हैकिंग फारेंसिक इनवेस्गिेटर के दो फर्जी कार्ड पाए गए. उसके पास से सर्टिफाइड नेटवर्क डिफेंस आकर््िटेक्ट परीक्षा में आल इण्डिया में तीसरा स्थान पाने का फर्जी सर्टिफिकेट मिला. इसके अलावा कई बैंक के एटीएम कार्ड, पासबुक, बड़े अधिकारियों के नाम से बनाएं गए फर्जी लेटर भी मिले. POLICE ने अमित के निजी बाॅडी गार्ड के पास से एक पिस्टल और स्नाइपर गन जब्त की.
उसने POLICE मुख्यालय के फर्जी लेटर से कार पर लाल-पीली बत्ती लगवाया था. सारा चिठ्ठा खुलने के बाद भी CRIME BRANCH को गुमराह करने की कोशिश की, उसने उनके सामने आॅफर रखा यदि उन्होंने उसे छोड़ दिया तो वह भारत सरकार पर मंडरा रहे खतरे को खत्म कर देगा और स्विस बैंक की सारी जानकारी निकाल कर उन्हें दे देगा. CRIME BRANCH उसके झांसे में नहीं आई. उसके खिलाफ मामला दर्ज कर उसे जेल भेंज दिया.
·
Comments
Post a Comment