Crime Story: असीरगढ़ के किले में खूनी खेल (2)
![]() |
Crime Story: असीरगढ़ के किले में खूनी खेल (2) |
असीरगढ़ के किले में खूनी खेल (2)
........भाग (1) का
शेष
इधर संगीता रामविलास के साथ खुश थी और रामविलास भी अपने से उम्र में बड़ी प्रेमिका संगीता को पाकर खुद को धन्य समझने लगा था। वह संगीता को रानी बनाकर रखना चाहता था इसलिए उसने पिता से अपना पैतृक हिस्सा भी ले लिया था और तमाम पैसा संगीता तथा उसके बच्चों पर लुटाने लगा। इधर संगीता ने देखा कि वह पूना से जो सामान भरकर लाई थी उसमें हीरामन की बीमा पॉलिसी भी आ गई थी। संगीता को हीरामन पर दया आ गई और उसकी बीमा पॉलिसी वापस देने के लिए हीरामन को नादेड़ में बुलाया और रामविलास के साथ उससे मिलने गई।
संगीता ने हीरामन से रामविलास का परिचय अपने फुफेरे भाई के रूप में करवाया। संगीता को सामने देखकर हीरामनउसे अपने साथ वापस चलने की जिद्द करने लगा। इस पर संगीता ने कहा कि बेटी की शादी होते ही वह जल्दी ही उसके पास लौट आएगी।
Crime Story: Crime Story: असीरगढ़ के किले में खूनी खेल (2), mystery, suspense story in english, crime stories, crime stories hindi, murder mystery, Crime Stories Hindi, Cyber Crime, L.S.D, Mumbai Crime, dr. mk mazumdar
Crime Story: Crime Story: असीरगढ़ के किले में खूनी खेल (2), mystery, suspense story in english, crime stories, crime stories hindi, murder mystery, Crime Stories Hindi, Cyber Crime, L.S.D, Mumbai Crime, dr. mk mazumdar
हीरामन अपना मन मार कर पूना लौट गया। घर पहुंचने पर संगीता का एक और धोखा उसके सामने आ गया। हुआ यह कि साथ रहते हुए संगीता ने रामविलास और अपने अंतरंग पलों की कई फोटो खींचे थे। उन फोटो को उसने हीरामन की बीमा पॉलिसी वाले लिफाफे में रख दिए थे। जिन्हें वह हीरामन को पॉलिसी का लिफाफा देते समय निकालना भूल गई थी।
इसे भी पढ़े :-
हीरामनने संगीता और रामविलास के अर्धनग्र फोटो देखे तो वह सब समझ गया। वैसे भी हीरामन संगीता के चरित्र को अच्छी तरह समझ चुका था। वह न अपने पति की हुई और न प्रेमी की। हीरामनने चुप रहना ही बेहतर समझा और सोच लिया कि अब वह संगीता से कोई संबंध नहीं रखेगा।
इधर रामविलास और संगीता की कहानी आगे बढने लगी, लेकिन जल्द ही संगीता का मन रामविलास से भी भर गया। लेकिन संगीता, रामविलास को छोडना नहीं चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि जिस तरह से रामविलास उस पर और उसक बच्चों पर पैसा लुटाता है वैसा कोई दूसरा प्रेमी नहीं कर सकता है।
इसलिए उसका सोचना था कि जब तक मन लगा ठीक जब मन भर गया तो पुराने को बाहर कर इस घोंसले में नये पंछी को पाला जा सकता है, लेकिन नए प्रेमी की खोज से पहले वह रामविलास के साथ अपना रिश्ता पुख्ता करने की गरज से उस शादी करने के लिए दबाब बनाने लगी।
रामविलास तैयार था मगर उसे संगीता के साथ रहने के लिए शादी की कोई जरूरत भी नहीं थी। वह शादी के पचड़े में पडना नहीं चाहती था। इसलिए पहले तो शादी टालता रहा, लेकिन जब संगीता ने शादी के लिए अधिक जोर दिया तो उसे संगीता पर कुछ-कुछ षक होने लगा। उसने इस राज को जानने की कोशिश की तो पता चला कि उसकी गैर मौजूदगी में कई मर्दो का उसके घर आना-जाना है।
इसे भी पढ़े :-
रामविलास, हीरामन जैसा धीरज वाला नहीं था। उसने मन ही मन ठान लिया कि वह इस धोखे का बदला संगीता और उसके परिवार को मिटाकर लेगा। इसके बाद उसने योजना बनाकर एक-एक कर बेटी, संगीता और बेटा की हत्या कर दी।
पुलिस द्वारा पूछताछ में रामविलास ने बताया कि उसने मां, बेटी और बेटे की हत्या करने में दस दिनों का समय लिया। इसके लिए वह सबसे पहले 17 साल की बेटी को यह कहकर अपने साथ ले गया कि वह उसको अपने माता-पिता से मिलाने गांव ले जा रहा है ताकि उसके बाद संगीता से अपनी शादी की बात घर वालों से कर सके। संगीता को उसके इरादों पर षक नहीं हुआ, जबकि दूसरी तरफ रामविलास, उसको लेकर जंगल में पहुंचा जहां उसकी निर्ममता से हत्या करने के बाद लाश को गहरे गड्ढे में फेंक दिया और दो दिन बाद घर वापस लौट आया गया।
जब संगीता ने उससे बेटी के बारे में पूछा तो उसने बता दिया कि चाचा-चाची ने कुछ दिनों के लिए गांव में ही रोक लिया है। इसके बाद अगले ही दिन उसने बेटे को अपने मकान मालिक के पास छोडकर संगीता को असीरगढ़ किला घुमाने के बहाने बुरहानपुर ले आया। यहां जब दोनों किले में पहुंचे तो उन्होंने कई प्रेमी जोड़ों को झाडियों में छुपकर प्रेमालाप करते हुए देखा। यह देखकर रामविलास ने संगीता को एकांत में चलने के लिए कहा।
रामविलास की मंशा भंपकर संगीता भी सहर्श राजी हो गई। एकांत की तलाश करते-करते दोनों हाथी खाना के पास पहुंच गए। वहां दूर-दूर तक कोई नहीं था। एकांत पाकर दोनों झाडियों में प्रेमलीला में खो गए। इस दौरान मौका पाकर रामविलास ने संगीता का गला दबा दिया और उसके बेहोश होने पर उसके सिर पर पत्थर पटककर उसकी हत्या कर दी और लाश को वहीं छोडकर अपने घर वापस आ गया।
इसे भी पढ़े :-
रामविलास को अकेले घर लौटा देखकर बेटे ने अपनी मां के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी मां भी गांव में रूक गई है और एक-दो दिन में लौट आएगी। संगीता की हत्या के दो दिन बाद रामविलास, बेटे को उसकी मां और बहन से मिलाने के बहाने अपने साथ ले गया और दूर जंगल में ले जाकर उसकी भी हत्या कर दी।
तीनों मतृक की लाशें अलग-अलग समय पर अलग-अलग थानों की पुलिस को सड़ी-गली अवस्था में मिली। उनमें से किसी की पहचान भी नहीं हो सकी। उसने जिस सफाई से तीनों की हत्या की थी उससे उसके पकड़े जाने की कोई संभावना नहीं थी। यहां तक कि तीनों लाश की पहचान न हो पाने की वजह से पुलिस उन्हें लावारिस मानकर अलग-अलग जगहों में दफना चुकी थी।
लेकिन कहा जाता है कि भगवान सब देखता है। उसके यहां देर जरूर है अंधेर नहीं। ठीक वैसा ही रामविलास के साथ हुआ। संगीता और उसके दोनों बच्चों की हत्या के आरोप में हीरामनको फंसाने के चक्कर में रामविलास खुद पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
वहां यह कि एक दिन रामविलास अपने आप को पुलिस की गिरफ्त से बचाने के लिए पुलिस को फोन पर बताया कि संगीता और उसके बच्चों की हत्या पूना में रहने वाले हीरामन ने की है। पहले तो पुलिस ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया लेकिन रामविलास बार-बार पुलिस को गुमनाम फोन करके परेशान करने लगा। उसने हीरामन का पता भी पुलिस को बता दिया। यही नहीं, उसने कई बार पुलिस को हीरामन के स्टेशन पर होने की तो कभी बस स्टैंड पर खड़े होने की झूठी खबर पुलिस को देता था।
इधर जब थाने में बार-बार इन हत्याओं के संबंध में गुमनाम फोन आने लगे तो एक दिन पुलिस ने हीरामन को हिरासत में ले लिया। जब पुलिस ने हीरामन से संगीता और उसके बच्चों के बारे में पूछताछ किया तो उसने बताया कि लगभग तीन साल पहले संगीता रामविलास नामक एक युवक के साथ भाग गई थी। संयोग से उसके पास रामविलास और संगीता के अर्धनग्र तस्वीरें थी। उसने उन फोटोग्राफस को पुलिस के हवाले कर दिया।
इसे भी पढ़े :-
इधर रामविलास को थोड़ा सा भी ज्ञात नहीं था कि हीरामन के पास उसके और संगीता के अर्धनग्र फोटोग्राफस है जिसके सहारे पुलिस उस तक पहुंच सकती है। एक दिन उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए झूठी खबर दी कि हीरामन नादेड़ बस स्टैंड पर खड़ा है। पुलिस की हरकत देखने के लिए रामविलास खुद भी नादेड़ बस स्टैंड पहुंच गया। पुलिस जानती थी कि यह झूठे फोन करने वाला तमाशा देखने मौके पर जरूर आया होगा, पर अब तक तो वह उसे पहचानती नहीं थी लेकिन अब हीरामनके पास संगीता और रामविलास के फोटो में पुलिस रामविलास को देख चुकी थी सो पुलिस बताए गए स्थान पर पहुंची तो वहां खड़े रामविलास को देखकर पुलिस उसे पहचान गई और पकडकर थाने ले आई। जहां पहले तो रामविलास अपने आपको बेकसूर बताता रहा लेकिन जब पुलिस ने उसके सामने संगीता के साथ उसके अर्धनग्र फोटो दिखाए तो वह टूट गया और अपना अपराध स्वीकार कर लिया। और हमेशा-हमेशा के लिए पुलिस के गिरफ्त
पुलिस द्वारा पूछने पर रामविलास का कहना है कि संगीता उस पर शादी का दबाव बना रही थी जिससे तंग आकर उसने उसके साथ उसके दोनों बच्चों की हत्या कर दी, लेकिन सूत्र बताते हैं कि मां बेटी की हत्या का कारण कुछ और ही है। दरअसल रामविलास के साथ रहते हुए संगीता की बेटी बेटी 17 साल की हो चुकी थी सो पहले पिता और फिर हीरामन तथा अब रामविलास के साथ अपनी मां के संबंधों को भली प्रकार समझने लगी थी।
बेटी अपनी मां के चरित्र से सीख लेते हुए उसने भी कई प्रेमी पाल लिए थे। संगीता खुद भी कई प्रेमियों से संबंध थे, इसलिए वह अपनी बेटी पर रोक नहीं लगा सकी। उल्टे कहा तो यहां तक जाता है कि खुद संगीता ने भी बेटी के कुछ नादान प्रेमियों को अपने रंग में रंग लिया था। धीरे-धीरे मां-बेटी का यह रूप मोहल्ले में चर्चित हो गया और रामविलास की गैर मौजूदगी में मां और बेटी दोनों के चाहने वाले घर आने लगे थे।
जब यह बात रामविलास को पता चली तो उसे गहरा धक्का लगा। क्योंकि वह संगीता के प्रति पूरी तरह समर्पित था और बेटी को अपनी बेटी और बेटा को बेटा मानकर दोनों के भविश्य के लिए चिंतित था, लेकिन संगीता के व्यवहार से उसका मन गहरे अवसाद से भर गया और उसने इस धोखे की सजा मां-बेटी की हत्या के रूप में दी। बेटा की हत्या उसकी मजबूरी थी क्योंकि बेटा के जिंदा रहने पर संगीता और बेटी की गुमशुदगी कभी भी चर्चा में आ सकती थी।
थाना प्रभारी अमित जादौन का कहना था कि आरोपी काफी षातिर किस्म का है। उसने इतनी सफाई से तीनों कत्ल किए थे कि उसका पकड़ा जाना लगभग नामुमकिन था। लेकिन अपराध कभी छुपता नहीं है। पाप सामने आ ही जाता है। (कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित,
कहानी के पात्रों के नाम व स्थान काल्पनिक है)
Comments
Post a Comment