Crime story: शोभराज बनने की रोमांचक कथा (1)

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Crime story: शोभराज बनने की रोमांचक कथा (1)

दसवीं पास सुरेश यादव के शोभराज 

बनने की रोमांचक कथा

(भाग-1)

उत्तरपदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला सुरेश यादव लोगों को अपनी बातों में फंसा कर ठगी करने में माहिर था. उसकी कहानी कुख्यात ठग चाल्र्स शोभराज की कहानी से भी अधिक दिलचस्प है. मात्र दसवीं पास सुरेश शुरू से ही अंग्रेजी बोलने में भी माहिर है. साकी नाक पुलिस के अनुसार उसके कारनामों की पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी जाएं तो बाॅलीवुड के सुपर डुपर फिल्म की कहानी भी आपको उबाउ लगने लगेगी. अपने शातिराना अंदाज में उसने कई बड़े अधिकारियों, पुलिसकर्मियों, धन्नासेठ को चूना लगाया.
वपुनि. अविनाश धर्माधिकारी mumbai police crime news story
वपुनि. अविनाश धर्माधिकारी
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सुरेश ने शोभराज बनने की शुरूआत आज से 20 साल पहले शुरू कर दी थी. सुल्तानपुर के मार्चा गांव का रहने वाला सुरेश अपने गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर एक गांव में गया और वहां गांव के एक सम्पन्न किसान से मिला. उसने किसान को अपनी दुखभरी कहानी सुनाई. उसने किसान को बताया, उसकी सौतेली मां उसे बहुत ही जालिम है. वह उससे दिनभर काम कराती है. मारती भी बहुत है और खाना भी नहीं देती है. उसे सम्पत्ति से बेदखल करके घर से निकाल दिया है. सुरेश की दर्दभरी कहानी सुनकर किसान को दया आ गई. उसने सुरेश को अपने घर में पनाह दे दी. यहीं नहीं उसे अपने बच्चे की प्यार भी दिया. उसे किसी बात की कमी नहीं होने दी, पर सुरेश इन सब बातों से संतुष्ट नहीं था. उसकी निगाह तो किसान के रूपयों पर थी. एक दिन मौका पाकर उसने आलमारी में रखे 2000 रूपये निकाले और वहां से फरार हो गया. आज से 20 साल पहले 2 हजार रूपयों की काफी एहमियत थी.
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वहां से भागने के बाद वह महोबा पहुंचा. कई दिनों तक भटकने के बाद वह एक एडवोकेट शोभालाल से मिला. उसने एडवोकेट के सामने अपनी मां उर्मिला यादव द्वारा मारपीट किए जाने और सम्पत्ति से बेदखल करने की बात कहीं. शोभाराज को कहानी सुनाते वक्त उसने उर्मिला यादव के आगे एमएलए शब्द भी जोड़ दिया. संयोग से उन दिनों उर्मिला यादव नाम की एक एमएलए भी हुआ करती थी. इसलिए शोभलाल ने उसकी कहानी को सही मान लिये. उन्होंने सुरेश को अपने यहां रहने को जगह दे दी.
एपीआई. गणेश आंदे mumbai police crime news story
एपीआई. गणेश आंदे

शोभलाल की अनेक पुलिस अधिकारियों से अच्छी पहचान थी. उनमें से एक अधिकारी लखनऊ में विधान सभा में सुरक्षा व्यवस्था में थे. उन्होंने उस पुलिस अधिकारी से विधायक उर्मिला यादव द्वारा अपने बेटे के साथ दुव्र्यवहार किए जाने की बात बतायी और उसे उचित न्याय दिलाने की बात कहीं. पुलिस अधिकारी ने उर्मिला यादव के बारे में अधिक जानकारी निकाली तो पता चला उनका कोई लड़का ही नहीं है. यह बात जब शोभलाल को बताई उन्होंने ने सुरेश को पुलिस के हवाल कर दिया. जेल जाने के बाद वह करीब सात माह बाद जेल से बाहर निकला. जेल से बाहर निकलने के बाद वह वहां से इटावा पहुंचा. यहां पर ट्रांसपोर्टर योगेश सिंह भदौरिया के यहां काम करने लगा. मौका पाकर उसने भदौरिया का मंहगा मोबाइल चोरी करके भाग निकला. वह मोबाइल उसने मात्र पन्द्रह सौ में किसी को बेच दिया. इस बीच भदौरिया के लोगों ने पकड़ लिया और उसे पुलिस के हवाले कर दिया. मोबाइल चोरी के आरोप में उस पर चार माह की जेल हो गयी. जेल में उसकी मुलाकात कई शातिर अपराधियों से हुई थी. कई अपराधियों के किस्से उसने वहां सुने और उन किस्सों को अपनी प्रेरणा का आधार बनाया.
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इटावा जेल से बाहर निकलने के बाद सबसे पहले मैगजीन की दुकान पर पहुंच कर उसने एक मैगजीन खरीदी. उस मैगजीन में आईएएस अधिकारियों और उनकी परीक्षा से संबंधित काफी जानकारियां दी हुई थी. उसने इस मैगजीन में दी गई जानकारियों के एक-एक लाइन अच्छे से पढ़ा. इसके बाद उसने फर्जी आईएएस अधिकारी बनने का फैसला किया. उसने इस बात का ख्याल रखा, यदि प्रेजेंटेशन अच्छा हो तो किसी को भी इंप्रेस किया जा सकता है. अंग्रेजी उसकी काफी अच्छी थी. इसी के बल पर वह लोगों को इप्रेस करने लगा.
कांस्टेबल तुकाराम पवार mumbai police crime news story
कांस्टेबल तुकाराम पवार
  उसकी अंग्रेजी अच्छी होने के पीछे एक कहानी है. वह जब स्कूल में पढ़ता था. उस वक्त एक टीचर ने एक दिन क्लास में सभी स्टुडेंट से कहां, जिंदगी में आगे बढ़ना है तो कोई सब्जेक्ट अच्छे से भले ही न आएं, लेकिन अंग्रेजी अच्छे से जरूर आनी चाहिए. इससे तुम जीवन में तरक्की कर जाओगे. मतलब आगे बढ़ने के लिए अंग्रेजी आना जरूरी है. उसी दिन से सुरेश ने अंग्रेजी पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया था. कुछ ही दिनों में वह काफी अच्छी अंग्रेजी बोलने लगा. इससे उसके क्लास टीचर काफी खुश थे. मगर सुरेश ने अपनी अच्छी अंग्रेजी का इस्तेमाल करियर बनाने की बजाएं ठगी करने में लगाया.
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  उसने फर्जी आईएएस बनने की स्क्रिप्ट अपने दिमाग में अच्छे से बैठा ली.  वह इटावा से गाजियाबाद पहुंचा. यहां पर वह इस्टेट एजेंट व बिल्डर आशुतोष सिंह से मिला. उसने काम की मांग और बातों ही बातों में बता दिया कि वह 2005 बैच का आईएएस आफिसर है. माफिया ने सरकार पर दवाब बना कर उसके खिलाफ साजिश रच कर उसे निलंबित कर दिया है. रोजी रोटी के लिए वह दुसरा काम कर रहा है. उसने कुछ बातें अंग्रेजी में बातें की जिससे आशुतोष सिंह सुरेश से काफी प्रभावित हो गए. उन्होंने सुरेश को अपने यहां काम पर ही नहीं रखा, बल्कि उसे नौकरी फिर से दिलवाने की कोशिश में लग गए. ……. शेष अगले (भाग-2) में

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